World Book Fair 2024 : वाणी साहित्य-घर-उत्सव में लोकार्पण व चर्चा

World Book Fair 2024 के तीसरे दिन, वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘वाणी साहित्य-घर-उत्सव’ में ‘We and The World Around’, ‘मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है’, ‘रेत में आकृतियाँ’ आदि पुस्तकों का लोकार्पण व चर्चा हुई।

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World Book Fair 2024

कार्यक्रम में पाञ्चजन्य की परामर्श सम्पादक तृप्ति श्रीवास्तव और डॉ. मनमोहन ने बातचीत की। संवाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह-कार्यवाहक डॉ. मनमोहन वैद्य ने बताया कि पुस्तक में ‘We’ का अर्थ है भारत और उसकी परंपरा। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से एक रहा है और हर नागरिक के सहयोग से इसका विकास होगा।

वैद्य ने संघ के भविष्य पर बात करते हुए कहा कि यह संगठन भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित रहा है और आज युवा संघ से जुड़ने की इच्छा है। अखंड भारत के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह ‘Geo Politics’ का विषय नहीं है बल्कि ‘Geo Cultural’ का है।

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विजयराजामल्लिका की हिन्दी में अनुवादित पुस्तक ‘मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है’ का लोकार्पण.

दूसरे सत्र में विजयराजामल्लिका की हिन्दी में अनुवादित पुस्तक ‘मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है’ का लोकार्पण और पुस्तक पर परिचर्या हुई। कार्यक्रम के संचालनकर्ता किन्शुक गुप्ता ने बताया कि पुस्तक में शानदार प्रतिरोध की कविताएँ हैं। यहाँ ट्रांसजेंडर के खिलाफ होने वाले अन्याय को दिखाया गया है। सत्र में पुस्तक की अनुवादिका सुमा एस. ने वाणी प्रकाशन को शुक्रिया अदा किया और कहा कि यहाँ पुस्तक में दुख की कविताओं के साथ ही प्रतिरोध की भी कविताएँ हैं। उन्होंने कहा कि न्याय और प्रेम का कोई लिंग नहीं होता।

तीसरे सत्र में, डॉ. सुनील कुमार शर्मा की किताबों का लोकार्पण और परिचर्चा हुई। सत्र के संचालनकर्ता विशाल तिवारी ने इस मौके पर कहा कि इन किताबों का हिन्दी में प्रकाशित होना हिन्दी के पाठकों के लिए बहुत सराहनीय कदम है। उन्होंने आगे भी यह बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैट जीपीटी में फिल्टर होने की जरूरत है।

लेखक डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि आज के समय में, एआई का उपयोग लोग सभी क्षेत्रों में कर रहे हैं, चाहे वह किसी भी अवयव के रूप में हो। उन्होंने चैट जीपीटी के प्रयोग की प्रक्रिया के बारे में भी व्याख्या की। उन्होंने अनुमान लगाया कि अगले दो तीन सालों में, एआई मानव क्षमता को भी पीछे छोड़ देगा।

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चौथे सत्र में ‘रेत में आकृतियाँ’ नामक श्रीप्रकाश शुक्ल की पुस्तक पर एक परिचर्या आयोजित की गई। कार्यक्रम का संचालन अमरजीत राम ने किया। उन्होंने पुस्तक से कुछ कविताओं का पाठ भी किया।

अमरजीत जी ने कहा कि जब वे ‘रेत में आकृतियाँ’ पढ़ रहे थे, तो उन्हें रेत और नदी के बीच इतिहास, भूगोल और समसामयिकता का एक अनूठा मिश्रण दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में वर्णित आकृतियाँ आज के ज्वलंत मुद्दों को दर्शाती हैं।

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World Book Fair 2024 New Delhi.

पाँचवें सत्र में गायिका, संगीतकार, और कवयित्री चिन्मयी त्रिपाठी की किताब ‘अपनी कही’ पर सवाल-जवाब किया गया। इस मुद्दे पर वाणी प्रकाशन की ओर से अदिति माहेश्वरी ने संवाद किया। उनके जवाब में, चिन्मयी त्रिपाठी ने अपनी कविताओं को लिखने की प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब कोई विचार बिजली की तरह कौंधता है और फिर उमड़ता है तो कविता निकल कर आती है। कविताओं में शब्द स्थानीय संस्कृति का प्रभाव होता है। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी अगली किताब ‘आठवें माले पर स्वाधिस्ठान’ के बारे में भी बात की। अंत में, संगीतमयी कविताओं का पाठ भी किया गया।

लोकार्पण व परिचर्चा के दौरान भारी संख्या में साहित्यकार, लेखक और साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

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