विश्व पुस्तक मेला 2024 : दलित चेतना और कविता की नयी ज़मीन को समर्पित रहा ‘वाणी साहित्य घर’ का चौथा दिन

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित ‘विश्व पुस्तक मेला 2024’ के चौथे दिन, वाणी प्रकाशन ग्रुप (जिसमें वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ और यात्रा बुक्स शामिल हैं) के द्वारा ‘वाणी साहित्य-घर-उत्सव’ का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रमुख कवि और कथाकार वीरेन्द्र सारंग की प्रस्तुतियों का विशेष महत्व था। उनकी नई पुस्तक ‘कथा का पृष्ठ’ का अनावरण और चर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कवि कौशल किशोर ने सारंग की कविताओं पर चर्चा की, जहाँ उन्होंने कहा कि सारंग आम आदमी के कवि हैं और उनकी कविताओं में जीवन का अद्भुत गान है।

विश्व पुस्तक मेला 2024
विश्व पुस्तक मेला 2024.

सारंग ने भी अपनी किताब की कविताओं को साझा करते हुए कहा कि कविता हमें जीवन के साथ जोड़ती है और लय का महत्व उसके लिए अत्यधिक है। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि ‘कविता का हाथ पकड़ो, मरने से बचो’, जो उन्हें कविता के महत्व को समझने और उसका आनंद लेने के लिए प्रेरित करता है।

विश्व पुस्तक मेला 2024 के दूसरे सत्र में, नारीवादी कवयित्री और कथाकार रजत रानी मीनू द्वारा संपादित पुस्तक ‘दलित स्त्री केन्द्रित कहानियाँ’ का लोकार्पण और चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कथाकार और संपादक डॉ. जय प्रकाश कर्दम, प्रो. सुधा सिंह, और पीयूष पुष्पम उपस्थित थे। संचालनकर्ता पीयूष पुष्पम ने कार्यक्रम का संचालन किया और वक्ताओं से सवाल-जवाब किया। उन्होंने कहा कि इस संग्रह की कहानियों में पीड़ियों का संघर्ष और उनकी अद्भुत यात्रा पर ध्यान दिया गया है।

World Book Fair 2024 : वाणी साहित्य-घर-उत्सव में लोकार्पण व चर्चा >>

तीसरे सत्र में साहित्यकार, लेखक, और दलित चिंतक प्रो. श्योराज सिंह बेचैन की पुस्तक ‘ज़िंदगी को ढूँढ़ते हुए’ का लोकार्पण और चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में डॉ. जय प्रकाश कर्दम, बलबीर माधोपुरी, प्रो. देवेन्द्र चौबे, और अक्षय सभरवाल भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के संचालनकर्ता अक्षय सभरवाल ने कहा कि बेचैन जी ने अपने अनुभवों को अद्वितीय ढंग से किताब के माध्यम से प्रस्तुत किया है। इसके बाद, डॉ. जय प्रकाश कर्दम ने बताया कि श्योराज सिंह बेचैन की कहानी एक सच्ची दलित जीवन को प्रकट करती है। आज भी, छूआछूत जैसी समस्याएं हमारे समाज में मौजूद हैं। ‘जाति’ भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण वास्तविकता है। जिन लोगों को लगता है कि जाति कुछ नहीं है, उन्हें अखबार के विवाह संबंधित विज्ञापन देखने की सलाह दी गई।

चौथे सत्र में, बलबीर माधोपुरी की अनुदित किताबें ‘मेरी चुनिंदा कविताएँ व मिट्टी बोल पड़ी’ का लोकार्पण और संक्षिप्त परिचय वार्ता हुई। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उपस्थित श्योराज सिंह बेचैन ने बताया कि बलबीर माधोपुरी एक दलित समाज के लेखक हैं और उन्होंने संघर्ष के साथ अपना लेखन प्रस्तुत किया है। वे कहते हैं कि यदि किसी को पंजाब के दलित साहित्य को समझना है, तो उन्हें बलबीर माधोपुरी की कविताओं को देखना चाहिए।

आगे, मॉस्को राज्य विश्वविद्यालय की प्रो. आन्ना बोच्कोव्स्काया ने बताया कि ये किताबें रुस के साहित्य प्रेमियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बलबीर माधोपुरी को उनके उत्कृष्ट लेखन के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें आगे भी ऐसे लेखन के लिए प्रेरित किया।

विश्व पुस्तक मेला 2024
विश्व पुस्तक मेला 2024.

पाँचवें सत्र में, जितेन्द्र श्रीवास्तव की किताब ‘काल मृग की पीठ पर’ का लोकार्पण और चर्चा हुई। कार्यक्रम के संचालनकर्ता शम्भु नाथ मिश्र ने कहा कि जितेन्द्र श्रीवास्तव आज के समय का एक प्रमुख कवि हैं। उनकी कविताओं में एक विशेष प्रकार का आकर्षण है, जिसमें आशा की उजास दिखती है।

कार्यक्रम में, अंकित नरवाल ने कहा कि जितेन्द्र श्रीवास्तव की इस कविता संग्रह का युवाओं के लिए विशेष महत्व है।

विश्व पुस्तक मेला में ‘नामवर सिंह : कहानी का लोकतन्त्र और अप्रकाशित रचनाएँ’ का लोकार्पण और चर्चा

छठवाँ सत्र में, विजय प्रकाश सिंह और अंकित नरवाल ने मिलकर संकलित-सम्पादित किताब ‘नामवर सिंह : कहानी का लोकतन्त्र और अप्रकाशित रचनाएँ’ का लोकार्पण और चर्चा की। कार्यक्रम के संचालनकर्ता अंकित नरवाल ने बताया कि इस किताब से हमें नामवर सिंह की आलोचक चेतना के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि नामवर सिंह के साथी लेखक दुर्गा प्रसाद गुप्त ने भी अपने अनुभवों को साझा किया, जिनमें नामवर जी के विचारों और साहित्य की अनूठी दृष्टि थी। जितेन्द्र श्रीवास्तव ने भी यह कहा कि नामवर सिंह की बात सुनना बहुत महत्वपूर्ण होता था, उनकी रचनाओं को समझना भी। अंत में, नामवर सिंह के पुत्र विजय प्रकाश सिंह ने नामवर सिंह के संबंधित साहित्यकारों से जुड़े दिलचस्प किस्से साझा किए और कार्यक्रम को समाप्त किया।

आठवें सत्र में, वाणी प्रकाशन की ओर से अदिति माहेश्वरी ने सभी का अभिनंदन किया और वरिष्ठ आलोचक, कवि, और लोकप्रिय शायर ओम निश्चल जी का स्वागत किया। ‘महँगी कविता’ की पहचान यह है कि उसकी कीमत खुद वह तय करता है। ओम निश्चल जी की राजनीति और साहित्य की गहरी पहचान है। उनके द्वारा रचित कविताएं उस युग की व्याख्या करती हैं, जिसमें वह लिखी गई थीं।

इसके बाद, दामिनी महेश्वरी मनचंदा ने ओम जी का स्वागत किया और उमाशंकर जी ने भी गुल्दस्ते से ओम निश्चल जी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कविता शैली की खासियत यह है कि वह उस युग की व्याख्या करती है, जिसमें वह लिखी गई थी।