निर्मल वर्मा और गगन गिल की सभी किताबें प्रकाशित करेगा राजकमल

राजकमल प्रकाशन अब निर्मल वर्मा और गगन गिल की सभी किताबों का प्रकाशन करेगा। निर्मल वर्मा की छह किताबें – ‘वे दिन’, ‘लाल टीन का छत’, ‘रात का रिपोर्टर’, ‘एक चिथड़ा सुख’ (उपन्यास), ‘परिंदे’ (कहानी संग्रह), और ‘चीड़ों पर चाँदनी’ (यात्रा संस्मरण) का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला में किया गया था। गगन गिल का काव्य संग्रह ‘यह आकांक्षा समय नहीं’ भी प्रस्तुत किया गया। दोनों लेखकों की बाकी किताबें भी जल्द ही राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की जाएंगी।

निर्मल वर्मा और गगन गिल
जलसाघर में विश्व पुस्तक मेला के अवसर पर निर्मल वर्मा और गगन गिल की सात किताबों का लोकार्पण हुआ था.

राजकमल प्रकाशन समूह के जलसाघर में विश्व पुस्तक मेला के अवसर पर निर्मल वर्मा और गगन गिल की सात किताबों का लोकार्पण हुआ था। इस उत्सव में आनन्द कुमार, वीरेन्द्र यादव, अब्दुल बिस्मिल्लाह, हरीश त्रिवेदी, अखिलेश, रवीश कुमार, गीत चतुर्वेदी, और दिनेश श्रीनेत भी उपस्थित थे।

लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान गगन गिल कहा “पिछले 18 सालों में मुझे कई लोगों के साथ काम करने का मौक़ा मिला मगर जैसा सामंजस्य राजकमल और अशोक जी के साथ था वैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिला। मैं अभिभूत हूँ कि आज इतने वर्षों बाद निर्मल जी और मेरी किताबें एक नए कलेवर के साथ राजकमल से प्रकाशित हो रही हैं। राजकमल से हमारा पारिवारिक संबंध रहा है। हमेशा से उत्कृष्ट रचना प्रकाशित करने की राजकमल प्रकाशन की परंपरा रही है, निर्मल जी के साहित्य के लिए अशोक जी और राजकमल से उचित कोई प्रकाशक नहीं हो सकता, ऐसा मेरा विश्वास है।”

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वक्ताओं में प्रियदर्शन ने कहा “मैं सोचता हूँ आज का युवा पाठक बिना किसी आलोचनात्मक उद्यम के निर्मल जी क्यों और कैसे पढ़ सकता है? फिर मुझे समझ आया कि आधुनिकता की जो एकांतता है, विस्थापन का जो अभिशाप है, उसमें हर कोई अपना घर खोज रहा है। इन भावों को सबसे करीबी ढंग से निर्मल वर्मा ने लिखा है। यही कारण है कि वह आज के समय में इतना समकालीन, प्रासंगिक और लोकप्रिय बने हुए हैं।”

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वीरेन्द्र यादव ने कहा “निर्मल जी के वैचारिक साहित्य के बिना साहित्य की चर्चा खोखली-सी दिखाई जान पड़ती है।”

आनंद कुमार ने कहा “बाकी सौ किताबें एक तरफ़ है और निर्मल वर्मा की किताबें एक तरफ़।” वहीं गीत चतुर्वेदी ने कहा “निर्मल वर्मा उस दौर के साहित्यकारों में युवाओं से सबसे ज़्यादा जुड़ते हैं।”

इस अवसर पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने बताया कि इन किताबों का लोकार्पण हमारी समूहित प्रयासों का फल है। उन्होंने यह भी उजागर किया कि ये किताबें एक नए कलेवर में लेकर आई गई हैं, जो पाठकों तक पहुँचने का माध्यम बनेंगी।

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उन्होंने कहा “मुझे निर्मल जी स्नेह और बहुत प्रेम मिला है मैं उसे कभी भुला नहीं सका। वर्षों पहले जिन परिस्थितियों में निर्मल जी की किताबें अन्यत्र छपने गयीं, वह मेरे लिए दुखद और राजकमल प्रकाशन के लिए अप्रिय प्रसंग बना रहा। ख़ैर, हमने अपनी भूल को सुधारा है। मुझे निजी तौर पर, और सांस्थानिक रूप से भी बहुत प्रसन्नता हो रही है कि निर्मल जी और गगन जी की सभी किताबें अपने मूल प्रकाशन में वापस लौट आई हैं।”