कथाकार संजीव की सभी किताबें अब राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होंगी

साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक संजीव ने विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन समूह के मंच से यह घोषणा की है कि उनकी सभी किताबें अब राजकमल प्रकाशन समूह से ही प्रकाशित होंगी। उन्होंने बताया कि राजकमल प्रकाशन समूह पहले से ही उनके प्रकाशक हैं और उनके कई उपन्यास और प्रतिनिधि कहानियाँ इस समूह से प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने इस निर्णय को उनके पुराने संबंध और विश्वास पर आधारित किया है। उनका मानना है कि उनके पाठकों को भी इससे सुविधा होगी क्योंकि उन्हें उनकी सभी किताबें एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी।

राजकमल प्रकाशन समूह
राजकमल प्रकाशन समूह के कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य.

इस अवसर पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने संजीव जी की प्रशंसा की और कहा, “संजीव जी का साहित्य विशाल और बहुआयामी है। हमारा इनसे दशकों से अटूट रिश्ता है और हमें उनकी कृतियों का प्रकाशन करने पर गर्व है। हमें खुशी है कि उन्होंने अपनी सभी पुस्तकों के प्रकाशन का दायित्व हमें सौंपा है। इससे प्रकट होता है कि उनका हमारे प्रति विश्वास और प्रेम अटूट है। लेखक के लिए उनकी किताबें ही उनकी जीवन संपदा होती हैं, जो मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारी शक्ति है हमारे लेखकों और पाठकों का विश्वास और प्रेम। यह हमें और उत्साहित करता है कि हम और बेहतरीन काम करें। हम राजकमल प्रकाशन समूह के जोश और प्रयास के साथ जिम्मेदारी निभाएंगे जो संजीव जी ने हमें सौंपी है।”

कथाकार संजीव
कथाकार संजीव.

जलसाघर में राजकमल प्रकाशन से कहानी संग्रह ‘प्रार्थना’ का लोकार्पण

जलसाघर में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित संजीव के नए कहानी संग्रह ‘प्रार्थना’ का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर मंच पर ममता कालिया, वीरेन्द्र यादव, सैय्यद मुहम्मद इरफ़ान, अब्दुल बिस्मिल्लाह, बलराम, मनोज कुमार पांडेय, धर्मेन्द्र सुशान्त उपस्थित रहे। संजीव ने नए कहानी संग्रह के लोकार्पण पर कहा, “जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन तमाम अंधेरों के बावजूद दुनिया अब भी सुंदर है। मैंने इस संग्रह में इसी सुंदरता को दर्शाने का प्रयास किया है।”

चर्चा के दौरान वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने कहा, “मैंने संजीव के साहित्य को शुरू से पढ़ा है। जिन मुद्दों पर लिखने से लोग बचते हैं, ये उन पर लिखने का साहस करते हैं बल्कि उतने ही साहस से हाज़िरजवाबी भी करते हैं।” बलराम ने उनकी कथाओं की व्यापकता की सराहना की और कहा, “संजीव के लेखन का दायरा विशाल है और उनके कहानियों में व्यापक सामाजिक ताने-बाने छुपे हैं।” रवींद्र ने उनकी कल्पना की स्तुति की और कहा, “संजीव जी अपनी कहानियों में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को सूक्ष्मता से प्रकट करते हैं।” इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी उनकी कहानियों की विशेषता और उनकी ज़िम्मेदारी की सराहना की।

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जलसाघर में आयोजित कार्यक्रम के अन्य सत्रों में सुरेंद्र प्रताप के उपन्यास ‘मोर्चेबन्दी’; अनीता गोपेश द्वारा संपादित किताब ‘कहानियाँ दूसरे दुनिया की’; राहुल श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘पुई’ और यतीश कुमार की किताब ‘बोरसी भर आँच’ का लोकार्पण हुआ। वहीं विपिन गर्ग द्वारा सम्पादित मीर तक़ी मीर की ग़ज़लों और रुबाइयों के संग्रह ‘चलो टुक मीर को सुनने’ और डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की किताब ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पर बातचीत हुई। कार्यक्रम के दौरान पाठकों ने लेखकों से संवाद किया।