नयी दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘World Book Fair 2024’ वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ व यात्रा बुक्स ) के ‘वाणी साहित्य-घर-उत्सव’ में कई पुस्तकों का लोकार्पण व परिचर्चा हुई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि, लेखक और रंगकर्मी अशोक तिवारी ने बताया कि नमिता सिंह की कथा साहित्य में विशेष पहचान है। उनकी लेखनी सामाजिक परिवेश को गहराई से समझती है और उससे साक्षात्कार करती है। आगे कार्यक्रम में वरिष्ठ कथाकार हरियश राय ने व्यक्त किया कि नमिता जी के संग रहने से ही मेरी सोच विकसित हुई है। उनकी पुस्तक एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो अलीगढ़ को समझने में सहायक है।

दूसरे सत्र में अनिल जोशी की किताब ‘प्रवासी लेखन: नयी ज़मीन, नया आसमान’ पर विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. मलखान सिंह ने कहा कि यह किताब प्रवासी लेखन को एक नयी दिशा देती है। वरिष्ठ लेखिका अलका सिन्हा ने इसे प्रवासी लेखन की नयी पहचान बताई। इसमें प्रवासियों के प्रति होने वाली दृष्टि को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. रेखा सेठी ने कहा कि किताब में अनिल जोशी का व्यापक अनुभव प्रकट होता है। प्रो. सत्यकेतु सांकृत ने कहा कि इस पुस्तक से प्रवासी इतिहास लेखन में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया गया है।
अजीत एक ईमानदार अभिनेता थे। उनका पूरा नाम हामिद अली ख़ाँ था। अपनी असरदार आवाज़ से वह हिन्दी सिनेमा में अलग पहचान रखते हैं।
— Vani Prakashan (@Vani_Prakashan) February 16, 2024
– इक़बाल रिज़वी
विश्व पुस्तक मेला 2024 में वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ और यात्रा बुक्स) से प्रकाशित 'अजीत का सफ़र : सारा शहर… pic.twitter.com/zA9UV0se9L
वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम जनमेजय ने बताया कि अनिल जोशी जी ने प्रवासी मन और भारत की माटी के बीच संबंध बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि साहित्य में जो उपेक्षा व्यंग्य को झेलनी पड़ी, वही प्रवासी लेखन को भी झेलना पड़ा।
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कार्यक्रम के तीसरे सत्र में मालती उपाध्याय की किताब ‘साँझक दीप’ का लोकार्पण और विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर मैथिली विशेषज्ञ सविता झा, अनुवादक और साहित्यकार प्रो. देवशंकर नवीन और मालती उपाध्याय मौजूद रहे। सविता झा ने मैथिली में व्यक्त किया कि यह किताब भावनाओं के उद्गार से उत्पन्न हुई है।

कार्यक्रम के चौथे सत्र में मीडियाकर्मी और प्रोफेसर आनन्द प्रधान की किताब ‘न्यूज़ चैनलों का जनतन्त्र’ का लोकार्पण और विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम में प्रोफेसर आनन्द कुमार, प्रो. मुकुल शर्मा, डॉ. विपुल मुद्गल, क़मर वहीद नक़वी साहब और आनन्द प्रधान मौजूद रहे। डॉ. विपुल मुद्गल ने कहा कि हमारा मीडिया दिवालिया हो चुका है। सारी राजनीति मीडिया में होने लगी है और मीडिया का राजनीतिकरण हो गया है। आनन्द प्रधान की किताब इन सभी पहलुओं का विश्लेषण करती है।
रिश्तों के जो बने बनाएँ संबोधन है उसे त्यागकर, उससे ऊपर अपने संबंध को परिभाषित करने के लिए मिथिलांचल की स्त्रियाँ अपनी सखियों या अपने रिश्तेदारों को अलग से एक संज्ञा देतीं हैं। दो सखियों के बीच मैत्री स्थापित करने के लिए कई स्त्रियाँ एक दूसरे को गुलाब, जूही, गंगा आदि संबोधन दे… pic.twitter.com/1QYdW3kZux
— Vani Prakashan (@Vani_Prakashan) February 15, 2024
पाँचवे सत्र में स्वदेश दीपक के सम्पूर्ण साहित्य संसार के तहत 17 किताबों का लोकार्पण और संक्षिप्त चर्चा हुई। कार्यक्रम में भारतीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक देवेन्द्र राज अंकुर जी और अस्मिता थिएटर से अरविंद गौड़ जी, वरिष्ठ पत्रकार और फ़िल्म समीक्षक अजित राय मौजूद रहे। अंकुर जी ने कहा कि स्वदेश दीपक की महानता को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, वह अद्भुत है। उसी तरह अरविंद गौड़ ने वाणी प्रकाशन को स्वदेश दीपक के साहित्य संसार को पाठकों के सामने प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि स्वदेश दीपक के साहित्य को हर पीढ़ी द्वारा पढ़ा जाना चाहिए। साथ ही अस्मिता थियेटर की ओर से ‘स्वदेश दीपक ट्रस्ट’ की स्थापना के लिए प्रस्तावना की गई।
छठवें सत्र में इक़बाल रिज़वी की किताब ‘अजीत का सफ़र : सारा शहर मुझें….’ पर सवाल-जबाव के रूप में चर्चा हुई। कार्यक्रम में लेखक और सिनेमा ज्ञाता प्रो. रवि कान्त और किताब के लेखक इक़बाल रिज़वी मौजूद रहे। कार्यक्रम में प्रो. रवि कान्त के प्रश्नों के उत्तर में इक़बाल रिज़वी ने बताया कि अजीत एक ईमानदार अभिनेता थे और उनका पूरा नाम हामिद अली खाँ था।